White चार दीवारी से नहीं बनता घर अपनों के प्यार क | हिंदी कविता

"White चार दीवारी से नहीं बनता घर अपनों के प्यार के बिना अधूरा है हर घर बच्चों की किलकारी सी ही तो महकता है घर बुज़ुर्गो के आशीर्वाद से फलता है घर माँ का दुलार पिता की फटकार से मज़बूत बनता है घर भाई बहन से लड़ना झगड़ना रूठाना मानना से खिलता है घर थोड़े से आँसू थोड़ी सी हँसी से थोड़े से गम थोड़ी सी खुशी बस इस से ही तो खड़ा रहता है घर। ( चाँदनी ) sangeeta verma ©Sangeeta Verma"

 White चार दीवारी से नहीं बनता घर 
अपनों के प्यार के बिना 
अधूरा है हर घर 
बच्चों की किलकारी सी ही तो 
महकता है घर 
बुज़ुर्गो के आशीर्वाद से 
फलता है घर 
माँ का दुलार 
पिता की फटकार से 
मज़बूत बनता है घर 
भाई बहन से लड़ना झगड़ना 
रूठाना मानना से 
खिलता है घर 
थोड़े से आँसू थोड़ी सी हँसी से 
थोड़े से गम थोड़ी सी खुशी 
बस इस से ही तो 
खड़ा रहता है घर।
( चाँदनी ) sangeeta verma

©Sangeeta Verma

White चार दीवारी से नहीं बनता घर अपनों के प्यार के बिना अधूरा है हर घर बच्चों की किलकारी सी ही तो महकता है घर बुज़ुर्गो के आशीर्वाद से फलता है घर माँ का दुलार पिता की फटकार से मज़बूत बनता है घर भाई बहन से लड़ना झगड़ना रूठाना मानना से खिलता है घर थोड़े से आँसू थोड़ी सी हँसी से थोड़े से गम थोड़ी सी खुशी बस इस से ही तो खड़ा रहता है घर। ( चाँदनी ) sangeeta verma ©Sangeeta Verma

#घर # कविता

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