घाव खुले छोड़ दिए हमने उस पे भरोसा करके, ये भी न द | हिंदी Poetry Vide

"घाव खुले छोड़ दिए हमने उस पे भरोसा करके, ये भी न देखा उसने हाथों में नमक छुपा रक्खा है। आंधियां इधर तेज़ हुई उधर घास की झोंपड़ी है, बारिश के इस मौसम में रेत का महल बना रक्खा है। ©Hisamuddeen Khan 'hisam' "

घाव खुले छोड़ दिए हमने उस पे भरोसा करके, ये भी न देखा उसने हाथों में नमक छुपा रक्खा है। आंधियां इधर तेज़ हुई उधर घास की झोंपड़ी है, बारिश के इस मौसम में रेत का महल बना रक्खा है। ©Hisamuddeen Khan 'hisam'

घाव खुले छोड़ दिए...... हिसाम
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