कई को जाति , तो कुछ को नोकरी चाकरी ने , मजबूर किय | हिंदी शायरी

"कई को जाति , तो कुछ को नोकरी चाकरी ने , मजबूर किया, प्रेमी यूंही ना मरा उसे जज्वातो ने हाराम किया, 😌❤️ ,,, , यार मेरा बेबफा नहीं, हां उस पर अपनो का प्यार , यार हर मजबूरी हाबी़ है,, ❤️😘 वो सच है खुदा है दुआ है वो संसार , संसार उसमे है वो आरंभ वो ही अंत , वो ही गुरू, वो ही कुरान, वो ही राधा का श्याम, वो ही घनानन्द, वो हीआंनन्द है,, निशब्द,,,, ©S G"

 कई को  जाति ,
तो कुछ को नोकरी चाकरी ने ,
मजबूर किया, 
प्रेमी यूंही  ना  मरा  उसे जज्वातो ने हाराम किया, 😌❤️ ,,,
, यार मेरा बेबफा  नहीं,  
हां उस पर अपनो का प्यार , 
यार हर मजबूरी हाबी़  है,, ❤️😘
वो सच है खुदा है दुआ है वो संसार , संसार उसमे है 
वो आरंभ वो  ही अंत 
,  वो ही गुरू, वो  ही कुरान, वो ही राधा का श्याम, 
वो ही  घनानन्द,
 वो हीआंनन्द है,, 
 निशब्द,,,,

©S G

कई को जाति , तो कुछ को नोकरी चाकरी ने , मजबूर किया, प्रेमी यूंही ना मरा उसे जज्वातो ने हाराम किया, 😌❤️ ,,, , यार मेरा बेबफा नहीं, हां उस पर अपनो का प्यार , यार हर मजबूरी हाबी़ है,, ❤️😘 वो सच है खुदा है दुआ है वो संसार , संसार उसमे है वो आरंभ वो ही अंत , वो ही गुरू, वो ही कुरान, वो ही राधा का श्याम, वो ही घनानन्द, वो हीआंनन्द है,, निशब्द,,,, ©S G

# राधा का श्याम

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