इश्क -ऐ-उल्फत का आलम कुछ यूं है जनाब की पराई म | हिंदी शायरी

"इश्क -ऐ-उल्फत का आलम कुछ यूं है जनाब की पराई मोहब्बत मे फना होना भी जायज लगता है बात हो गऱ हो भलाई -ऐ-खुद की फिर भी इश्क के खिलाफ हर एक शब्द भी नाजायज़ लगता है ©The Lekhak"

 इश्क -ऐ-उल्फत का आलम कुछ यूं है 

जनाब 

की पराई मोहब्बत मे फना होना भी जायज 

लगता है

बात हो गऱ हो भलाई -ऐ-खुद की फिर भी 

इश्क के 

खिलाफ हर एक शब्द भी नाजायज़
 लगता है

©The Lekhak

इश्क -ऐ-उल्फत का आलम कुछ यूं है जनाब की पराई मोहब्बत मे फना होना भी जायज लगता है बात हो गऱ हो भलाई -ऐ-खुद की फिर भी इश्क के खिलाफ हर एक शब्द भी नाजायज़ लगता है ©The Lekhak

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