दिल ही टूटा है यार आस नही.. दिल के भीतर छिपा अब को | हिंदी कविता

"दिल ही टूटा है यार आस नही.. दिल के भीतर छिपा अब कोई खास नहीं.. मन करता है कभी कभी इस दिल में कोई आए.. मगर क्या ही कहे,अब किसी के दिल में होंगे अहसास नही... ©Raj Pandey"

 दिल ही टूटा है यार आस नही..
दिल के भीतर छिपा अब कोई खास नहीं..
मन करता है कभी कभी इस दिल में कोई आए..
मगर क्या ही कहे,अब 
किसी के दिल में होंगे अहसास नही...

©Raj Pandey

दिल ही टूटा है यार आस नही.. दिल के भीतर छिपा अब कोई खास नहीं.. मन करता है कभी कभी इस दिल में कोई आए.. मगर क्या ही कहे,अब किसी के दिल में होंगे अहसास नही... ©Raj Pandey

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