चाँद को पाने की तमन्ना में ज़माने जागे। कौन आता है

"चाँद को पाने की तमन्ना में ज़माने जागे। कौन आता है बुझा दीपक जलाने आगे।। रात दिन छुपते रहे ग़म के सियाह सायों से। कोई अपनी परछाईयों से कहाँ भागे।। अपने चेहरे पे भी कायम हैं सिलवटों के निशाँ। देर तक दिल के आईने में हम कहाँ झाँके।। गाँठ टूटे तो माला भी चंद मोती है। हद से नाजुक हैं ये रब्त के धागे।। दुनियाँ के दिखावे का ये काफ़िला सारा। फ़क़त एक तमाशा है वक़्त के आगे।। ©Kranti Thakur"

 चाँद को पाने की तमन्ना में ज़माने जागे।
कौन आता है बुझा दीपक जलाने आगे।।

रात दिन छुपते रहे ग़म के सियाह सायों से।
कोई अपनी परछाईयों से कहाँ भागे।।

अपने चेहरे पे भी कायम हैं सिलवटों के निशाँ।
देर तक दिल के आईने में हम कहाँ झाँके।।

गाँठ टूटे तो माला भी चंद मोती है।
हद से नाजुक हैं ये रब्त के धागे।।

दुनियाँ के दिखावे का ये काफ़िला सारा।
फ़क़त एक तमाशा है वक़्त के आगे।।

©Kranti Thakur

चाँद को पाने की तमन्ना में ज़माने जागे। कौन आता है बुझा दीपक जलाने आगे।। रात दिन छुपते रहे ग़म के सियाह सायों से। कोई अपनी परछाईयों से कहाँ भागे।। अपने चेहरे पे भी कायम हैं सिलवटों के निशाँ। देर तक दिल के आईने में हम कहाँ झाँके।। गाँठ टूटे तो माला भी चंद मोती है। हद से नाजुक हैं ये रब्त के धागे।। दुनियाँ के दिखावे का ये काफ़िला सारा। फ़क़त एक तमाशा है वक़्त के आगे।। ©Kranti Thakur

#वक़्त के आगे

#Shades

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