ओ बादल , तू आ जा रे मेरे शहर की छत पर छा जा रे

"ओ बादल , तू आ जा रे मेरे शहर की छत पर छा जा रे ये सूरज बहुत भभकता है इसको जरा समझा जा रे बहुत तपाया इसने हमको अब जम के बूंद बरसा जा रे सूख गई है धरा ये सारी इसको तनिक भीगा जा रे झुलस गए है नन्हे पौधे इनको जरा हर्षा जा रे रे बादल , तू आ जा रे , मेरे शहर की छत पर छा जा रे ©Dheeraj Kumar Singh"

 ओ बादल , तू  आ जा  रे 

मेरे शहर की छत पर छा जा रे

ये सूरज बहुत भभकता है 

इसको जरा समझा जा रे

बहुत तपाया इसने हमको

अब जम के बूंद बरसा जा रे

सूख गई  है धरा ये सारी

इसको तनिक भीगा जा रे

झुलस गए है नन्हे पौधे

इनको जरा  हर्षा जा रे

रे बादल , तू आ जा रे ,

मेरे शहर की छत पर छा जा रे

©Dheeraj Kumar Singh

ओ बादल , तू आ जा रे मेरे शहर की छत पर छा जा रे ये सूरज बहुत भभकता है इसको जरा समझा जा रे बहुत तपाया इसने हमको अब जम के बूंद बरसा जा रे सूख गई है धरा ये सारी इसको तनिक भीगा जा रे झुलस गए है नन्हे पौधे इनको जरा हर्षा जा रे रे बादल , तू आ जा रे , मेरे शहर की छत पर छा जा रे ©Dheeraj Kumar Singh

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