मेरे दादा जी की याद में मेरे द्वारा लिखी कुछ लाइने
इस जीवन पर आपका उपकार बहुत है
था ये जीवन शून्य मगर तुमने इसको चमकाया था
पढ़ना लिखना हंसना बोलना सब कुछ आप ने हीं सीख लाया था
कंधे पर बिठाकर घुमाए हो
पढ़ना लिखना ही नहीं जीवन का व्यवहार भी सीख लाए हो
कहानी कविता दोहे भजन हर चीज मुझे सीख लाया था
जीवन जीने का ढंग मुझे आप नहीं सीख लाया था
मेरा मन हो दुखित बहुत तुमको याद करता है
घर जाने के बाद सच कहूं सूनापन खलता है
सूना पड़ा है वह कमरा जिसमें आप रहते थे
अब रेडियो चलाकर कोई नहीं विविध भारती सुनता है
जब कोई जाता था बाहर सबसे ज्यादा आपको फिक्र होती थी
वह कब आएगा उसकी राह में आपकी बूढ़ी आंखें देखती थी
अब कोई नहीं है हम सब की फिक्र करने वाला
तुम कब आओगी घर बार-बार इस बात को पूछने वाला.......
purnima 😔aap bhut yad aate ho Babu
©पूर्णिमा
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