तुम चाहे जितने अच्छे बनो तुम्हारी कमियां जमाना ढूं | हिंदी Shayari

"तुम चाहे जितने अच्छे बनो तुम्हारी कमियां जमाना ढूंढ ही लेता है बारात में जाएं चाहे मय्यित में पीने वाला मैखाना ढूंढ ही लेता है तुमने तो बड़ी आसानी से कह दिया कि मोबाइल नही मिलता जिसे बात करनी होती है वो कोई ना कोई बहाना ढूंढ ही लेता है कवि सर्वेश सिंह ©kavi Sarvesh Singh"

 तुम चाहे जितने अच्छे बनो तुम्हारी कमियां जमाना ढूंढ ही लेता है
बारात में जाएं चाहे मय्यित में पीने वाला मैखाना ढूंढ ही लेता है
तुमने तो बड़ी आसानी से कह दिया कि मोबाइल नही मिलता
जिसे बात करनी होती है वो कोई ना कोई बहाना ढूंढ ही लेता है

       कवि सर्वेश सिंह

©kavi Sarvesh Singh

तुम चाहे जितने अच्छे बनो तुम्हारी कमियां जमाना ढूंढ ही लेता है बारात में जाएं चाहे मय्यित में पीने वाला मैखाना ढूंढ ही लेता है तुमने तो बड़ी आसानी से कह दिया कि मोबाइल नही मिलता जिसे बात करनी होती है वो कोई ना कोई बहाना ढूंढ ही लेता है कवि सर्वेश सिंह ©kavi Sarvesh Singh

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