White बहुत गहरी है........
सागर की तरह....!
उसके दिल का सफर..
कितने ही गम लिए बैठी है....!!
तह दर तक बढती ही जा रही उलझन दिल की.......!!!
कई राज दफन,उसके सीने में...!!!!
खुद को किस कदर,सभांल रखा है...!!!!!
उल्झी है रेशम की तार सी तन्हा....
कभी बेबजाह हुआ जाता है...!!!!!!
कभी महिफल की जान हुआ करती थी...
©Rameshkumar Mehra Mehra
# बहुत गहरी है,सागर की तरह,उसके दिल का सफर,कितने ही गम लिए बैठी है,तह दूर तक बढती ही जा रही है,उल्झन दिल की,कई राज दफन उसके सीने मे,खुद को किस कदर सभांल रखा है,उल्झी है रेशम की तार सी तन्हा कभी बेबजह हुई जाती है,कभी महफिल की जान हुआ करती थी.......