कुछ तो है ज़िंदगी में जो आदत बनाने के काबिल है ।
जो अंधेरे में अकेले में भी अजीब सी खुशी देती है ।
कभी बेकार नहीं जाती इसमें लगाई हुई कीमत ।
कुछ देर के लिए ही सही सब कुछ ठीक कर देती है।
ये मतलबी नहीं जो काम निकलते ही छोड़ दें।
ये अपनी क़ीमत के बराबर खुशी जरूर देती है ।
घुल जाती है जब आत्मा में तो बदल जाती है ज़िंदगी
पर जो ज्यादा दिल से ले ले उसके लिए नहीं है।
©Vickram
सराब उतनी बुरी चीज नहीं,,, है,,
अगर हिसाब से ले तो समझाएगी भी,,