जीवनभर न हो सके, आंचल से आजाद। जब कीचड़ से आदमी, इ | हिंदी Life Video

"जीवनभर न हो सके, आंचल से आजाद। जब कीचड़ से आदमी, इन्द्रधनुष हो जाए।  हम तो मस्त कबीर हैं, किसके आए हाथ।  मरने वालों देखना, हम पर आंच न आए। ©Death_Lover "

जीवनभर न हो सके, आंचल से आजाद। जब कीचड़ से आदमी, इन्द्रधनुष हो जाए।  हम तो मस्त कबीर हैं, किसके आए हाथ।  मरने वालों देखना, हम पर आंच न आए। ©Death_Lover

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