(1)नफ़रतों के शहर में नफ़रत | हिंदी कविता Video

" (1)नफ़रतों के शहर में नफ़रतों के इस शहर में हम, प्रेम के दीप जलाने आए हैं। नफ़रत से प्रेम बढ़ता नहीं, आज यही बताने आए हैं। (2)यारों शहर बना शमशान यारों शहर बना शमशान, किस बात का करते हो गुमान। एक दिन तुझको जाना होगा, तो मत कर यूँ तू अभियान। (3)झूठ बोलना पाप है जहाँ हो झूठ,वहांँ पश्चाताप है। जहांँ पश्चाताप,हरि वहीं आप हैं। गर झूठ बोलना पाप है तो फिर, सचको छुपाना उससे भी बड़ा पाप है (4)जब तक जिंदा हूँ लिखता रहूँगा जब तक जिंदा हूँ लिखता रहूँगा, जिंदा होने का प्रमाण देता रहूँगा, साहित्य-नगरी को हरा-भरा कर, अपनी कलम से सींचता रहूँगा। संदीप कुमार'विश्वास' ©संदीप "

(1)नफ़रतों के शहर में नफ़रतों के इस शहर में हम, प्रेम के दीप जलाने आए हैं। नफ़रत से प्रेम बढ़ता नहीं, आज यही बताने आए हैं। (2)यारों शहर बना शमशान यारों शहर बना शमशान, किस बात का करते हो गुमान। एक दिन तुझको जाना होगा, तो मत कर यूँ तू अभियान। (3)झूठ बोलना पाप है जहाँ हो झूठ,वहांँ पश्चाताप है। जहांँ पश्चाताप,हरि वहीं आप हैं। गर झूठ बोलना पाप है तो फिर, सचको छुपाना उससे भी बड़ा पाप है (4)जब तक जिंदा हूँ लिखता रहूँगा जब तक जिंदा हूँ लिखता रहूँगा, जिंदा होने का प्रमाण देता रहूँगा, साहित्य-नगरी को हरा-भरा कर, अपनी कलम से सींचता रहूँगा। संदीप कुमार'विश्वास' ©संदीप

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