आज कल वह अनजान बन बैठा,
मैं जानता था कि यह वक्त आएगा।
जो साथ रहने का वादा किए।
वह भी एक न एक दिन साथ छोड़ चले जायेंगे।
लेकिन पता नहीं था इतनी जल्दी आएंगा।
वह धीरे-धीरे चांद बदलो में छुपता जा रहा है।
और आसुओं के कर्ण से धीरे धीरे धरती को
एक और कहानी को धोने की बात कर रही है।
©मुसाफिर
#वह