मुश्किल से दिल बहलाया था, मुश्किल से दिल बच पाया थ | हिंदी कविता

"मुश्किल से दिल बहलाया था, मुश्किल से दिल बच पाया था मुश्किल अब दिल की दिल ही है, उसे दिल ही दिल तड़पाया था सो तड़पन अब तो होनी है, दिन याद रात को दूनी है मुझे प्रेम नहीं हो सकता है, ये प्रेम नहीं अनहोनी है मैं दिखकर उसे छुपा लूँगा, मैं लिखकर उसे मिटा दूँगा जीवन कर्मों से भरकर भल, भावों का गला दबा दूँगा विश्वास का मारा पंछी हूँ, हर स्वास ख़्वाब से भरता हूँ मैं प्रेम में जीता मरता हूँ, बस प्रेम वात से करता हूँ -Nishant Pandit ©STRK"

 मुश्किल से दिल बहलाया था, मुश्किल से दिल बच पाया था
मुश्किल अब दिल की दिल ही है, उसे दिल ही दिल तड़पाया था
सो तड़पन अब तो होनी है, दिन याद रात को दूनी है
मुझे प्रेम नहीं हो सकता है, ये प्रेम नहीं अनहोनी है

मैं दिखकर उसे छुपा लूँगा, मैं लिखकर उसे मिटा दूँगा
जीवन कर्मों से भरकर भल, भावों का गला दबा दूँगा
विश्वास का मारा पंछी हूँ, हर स्वास ख़्वाब से भरता हूँ
मैं प्रेम में जीता मरता हूँ, बस प्रेम वात से करता हूँ
-Nishant Pandit

©STRK

मुश्किल से दिल बहलाया था, मुश्किल से दिल बच पाया था मुश्किल अब दिल की दिल ही है, उसे दिल ही दिल तड़पाया था सो तड़पन अब तो होनी है, दिन याद रात को दूनी है मुझे प्रेम नहीं हो सकता है, ये प्रेम नहीं अनहोनी है मैं दिखकर उसे छुपा लूँगा, मैं लिखकर उसे मिटा दूँगा जीवन कर्मों से भरकर भल, भावों का गला दबा दूँगा विश्वास का मारा पंछी हूँ, हर स्वास ख़्वाब से भरता हूँ मैं प्रेम में जीता मरता हूँ, बस प्रेम वात से करता हूँ -Nishant Pandit ©STRK

ये प्रेम नहीं अनहोनी है...❣️✍️
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