करीब आकर छोड़ जाना, यही तो दुनिया का दस्तूर है। बहा | हिंदी शायरी
"करीब आकर छोड़ जाना,
यही तो दुनिया का दस्तूर है।
बहाने कई है सबके पास,
हर कोई यहाँ मजबूर है।
कैसे तू कर सकता है उम्मीद किसी से वफ़ा की,
बेवफाओं से दिल लगाने में तू भी तो मशहूर है।"
करीब आकर छोड़ जाना,
यही तो दुनिया का दस्तूर है।
बहाने कई है सबके पास,
हर कोई यहाँ मजबूर है।
कैसे तू कर सकता है उम्मीद किसी से वफ़ा की,
बेवफाओं से दिल लगाने में तू भी तो मशहूर है।