मैं हूँ और तेरी प्यारी सूरत है रस-भरे होंट मद-भरी

"मैं हूँ और तेरी प्यारी सूरत है रस-भरे होंट मद-भरी आँखें! कौन फ़र्दा पे ए'तिबार करे कौन जन्नत का इंतिज़ार करे जाने कब मौत का पयाम आए ये मसर्रत भी हम से छिन जाए दामन-ए-अक़्ल चाक होने दे आज ये क़िस्सा पाक होने दे ग़म को ना-पाएदार कर दें हम मौत को शर्मसार कर दें हम लब से लब यूँ मिलें कि खो जाएँ जज़्ब इक दूसरे में हो जाएँ मैं रहूँ और न तू रहे बाक़ी! किस क़दर दिल-नशीं हैं लब तेरे बादा-ए-अहमरीं हैं लब तेरे तेरे होंटों का रस नहीं है ये आब-ए-कौसर है अंग्बीं है ये शहद के घूँट पी रहा हूँ मैं आज की रात जी रहा हूँ मैं आज की रात फिर न आएगी!"

 मैं हूँ और तेरी प्यारी सूरत है 
रस-भरे होंट मद-भरी आँखें! 
कौन फ़र्दा पे ए'तिबार करे 
कौन जन्नत का इंतिज़ार करे 
जाने कब मौत का पयाम आए 

ये मसर्रत भी हम से छिन जाए 
दामन-ए-अक़्ल चाक होने दे 

आज ये क़िस्सा पाक होने दे 
ग़म को ना-पाएदार कर दें हम 

मौत को शर्मसार कर दें हम 

लब से लब यूँ मिलें कि खो जाएँ 
जज़्ब इक दूसरे में हो जाएँ 
मैं रहूँ और न तू रहे बाक़ी! 

किस क़दर दिल-नशीं हैं लब तेरे 
बादा-ए-अहमरीं हैं लब तेरे 

तेरे होंटों का रस नहीं है ये 

आब-ए-कौसर है अंग्बीं है ये 
शहद के घूँट पी रहा हूँ मैं 

आज की रात जी रहा हूँ मैं 

आज की रात फिर न आएगी!

मैं हूँ और तेरी प्यारी सूरत है रस-भरे होंट मद-भरी आँखें! कौन फ़र्दा पे ए'तिबार करे कौन जन्नत का इंतिज़ार करे जाने कब मौत का पयाम आए ये मसर्रत भी हम से छिन जाए दामन-ए-अक़्ल चाक होने दे आज ये क़िस्सा पाक होने दे ग़म को ना-पाएदार कर दें हम मौत को शर्मसार कर दें हम लब से लब यूँ मिलें कि खो जाएँ जज़्ब इक दूसरे में हो जाएँ मैं रहूँ और न तू रहे बाक़ी! किस क़दर दिल-नशीं हैं लब तेरे बादा-ए-अहमरीं हैं लब तेरे तेरे होंटों का रस नहीं है ये आब-ए-कौसर है अंग्बीं है ये शहद के घूँट पी रहा हूँ मैं आज की रात जी रहा हूँ मैं आज की रात फिर न आएगी!

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