जिंदगी के दो घुट, तू हर बार निगल जाता है। कभी | हिंदी Shayari

"जिंदगी के दो घुट, तू हर बार निगल जाता है। कभी धूप से चिढ़ थी तुझे अब तो, बारीश से पिघल जाता है । । ©Sagar d"

 जिंदगी के दो घुट, 
तू हर बार निगल जाता है। 
 
कभी धूप से चिढ़ थी तुझे
अब तो, बारीश से पिघल जाता है ।


















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©Sagar d

जिंदगी के दो घुट, तू हर बार निगल जाता है। कभी धूप से चिढ़ थी तुझे अब तो, बारीश से पिघल जाता है । । ©Sagar d

#BehtiHawaa

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