चलो ये वहम भी अच्छा है,
दिल ही साथी सच्चा है।
मीठा होगा दर्द एक दिन,
पर अभी तलक तो कच्चा है।
रोकर वही चाँद माँगता है,
मेरे भीतर जो एक बच्चा है।
उम्मीदों पर तैरती ज़िन्दगी,
और ये घड़ा भी कच्चा है।
मेरी आँखों पे गुमान का पर्दा,
तल्ख़ हक़ीक़त से तो अच्छा है।
वहम