मृत्यु नहीं उत्सव है ये,फंदा नहीं ये हार है
मां की आजादी की खातिर, मुझे सजा स्वीकार है
जिंदगी चरणों में समर्पित, जन्म सौ सौ वार है
बच्चा बच्चा मां भारती का, भगतसिंह सरदार है
दासता से मुक्ति का, साम्राज्यवादियों पर प़हार है
जीवन नहीं मांतृभूमि से बढ़कर, मां का बड़ा उपकार है
क्रांतिकारी साथियों, मौत पर न आंसू वहाना
क्रांति की मशाल, हरगिज न ठंडी होने देना
मातृभूमि के लिए मौत मेरी, आजादी का त्योहार है
अनगिनत होंगे भगतसिंह, जिन्हें मां भारती से प्यार है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
©Suresh Kumar Chaturvedi
#सरदार भगतसिंह