देखी पत्तों की यारी, सूखकर आख़िर दरख़्त छोड़ना ही | हिंदी Poetry

"देखी पत्तों की यारी, सूखकर आख़िर दरख़्त छोड़ना ही है, उस बेवफ़ा को भी हमे अब कमबख्त छोड़ना ही है. ©काफ़िर_rk"

 देखी पत्तों की यारी, सूखकर आख़िर दरख़्त छोड़ना ही है,
उस बेवफ़ा को भी हमे अब कमबख्त छोड़ना ही है.

©काफ़िर_rk

देखी पत्तों की यारी, सूखकर आख़िर दरख़्त छोड़ना ही है, उस बेवफ़ा को भी हमे अब कमबख्त छोड़ना ही है. ©काफ़िर_rk

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