हाथों में तुम्हारे ही वतन की लाज है । कर्णधार हो त | हिंदी कविता

"हाथों में तुम्हारे ही वतन की लाज है । कर्णधार हो तुम ये तुम्हारा ही राज है । जो चढा दे अपने सरो की भेट , ऐसे वीरों की जरुरत आज हैं । अपने प्राणो से इसकी आरती उताराये ©Anand Ji Mayura Ji"

 हाथों में तुम्हारे ही वतन की लाज है ।
कर्णधार हो तुम ये तुम्हारा ही राज है ।
जो चढा दे अपने सरो की भेट ,
ऐसे वीरों की जरुरत आज हैं ।
अपने प्राणो से इसकी आरती उताराये

©Anand Ji Mayura Ji

हाथों में तुम्हारे ही वतन की लाज है । कर्णधार हो तुम ये तुम्हारा ही राज है । जो चढा दे अपने सरो की भेट , ऐसे वीरों की जरुरत आज हैं । अपने प्राणो से इसकी आरती उताराये ©Anand Ji Mayura Ji

कविता के रंग आनंद के रंग

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