》ना दुनिया की समझ, ना सही ओर गलत की परख
प्यार के रंग से रंग दिया अपने दिल का बरख।
》ना तजुर्बा ना समझदारी ,
तूफानों में कश्ती उतारे बड़ी मासूम सी थी वो लड़की।
》नादानी की कमाई से घर -2 खेलती,,
अपनी धुन में मस्त थी वो मीरा सी लड़की।
》चांद से दिल लगाकर जमी से वफाएं मांगती ,,
हवाओं से लड़ने वाली वो पतंग सी लड़की।
》जब आंख खुली तो , थी नहीं अब वो छोटी सी लड़की,,
दिल को हथेली पर पारोश कर देने वाली वो भोली सी लड़की।
》कहते हैं कुछ भारी सा गुजरा था उसके नरम से सीने से होकर,
अब जरा नापतौल कर हस्ती है वो मनमौजी से लड़की।
》हकीकत दस्तक दे रही थी दरवाजे पर ,
अब भला द्वार खोलती किसके लिए वो सपनों सी लड़की।
》समेट कर ख्वाब कलम उठाएगी
खुद अपनी कहानी लिखेगी वो जिद्दी सी लड़की।
》लब्जों की ढाल बनाकर हर मकाम पाएगी,,
खुद ही खुद से बातें करने वाली वो किताबों सी लड़की।
》तीखी सी , मीठी सी जरा मूडी सी लड़की,,
आइने में देखूं तो वो मुझ जैसी लड़की।।
©Manshi Rajput.
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