लाखों बात कहने को रखा था पर मेरी बातें कोई समझता ह | हिंदी Poetry

"लाखों बात कहने को रखा था पर मेरी बातें कोई समझता ही नहीं यह दुनिया बड़ी बेरहम है यहां पर कोई अपना ही नहीं खुशी की तलाश मैंने बहुत ही की थी पर वो कभी भी मिलती ही नहीं मन बैरागी हो गया था ऐसा के तन्हा रहने का आदत पड़ गया ©person"

 लाखों बात कहने को रखा था पर मेरी बातें कोई समझता ही नहीं यह दुनिया बड़ी बेरहम है यहां पर कोई अपना ही नहीं 
खुशी की तलाश मैंने बहुत ही की थी पर वो कभी भी मिलती ही नहीं 
मन बैरागी हो गया था ऐसा के तन्हा रहने का आदत पड़ गया

©person

लाखों बात कहने को रखा था पर मेरी बातें कोई समझता ही नहीं यह दुनिया बड़ी बेरहम है यहां पर कोई अपना ही नहीं खुशी की तलाश मैंने बहुत ही की थी पर वो कभी भी मिलती ही नहीं मन बैरागी हो गया था ऐसा के तन्हा रहने का आदत पड़ गया ©person

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