घाव कितने भी गहरे हों सुख जाते हैं एक ना एक दिन पर | हिंदी शायरी

"घाव कितने भी गहरे हों सुख जाते हैं एक ना एक दिन पर कुछ शब्द चुभते हैं नश्तर की तरह "आजीवन" ©Niwas"

 घाव कितने भी गहरे हों
सुख जाते हैं एक ना एक दिन
पर कुछ शब्द चुभते हैं
नश्तर की तरह "आजीवन"

©Niwas

घाव कितने भी गहरे हों सुख जाते हैं एक ना एक दिन पर कुछ शब्द चुभते हैं नश्तर की तरह "आजीवन" ©Niwas

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