"बादल मेहरबां हुए भी तो इस कदर
एक एक बूंद को ढूंढा किये दरबदर
रिमझिम फुहारों से तन मन तरबतर हुआ
ये रूह तो प्यासी रही ,वो न मुत्तसिर हुआ
मुत्तसिर -प्रभावित"
बादल मेहरबां हुए भी तो इस कदर
एक एक बूंद को ढूंढा किये दरबदर
रिमझिम फुहारों से तन मन तरबतर हुआ
ये रूह तो प्यासी रही ,वो न मुत्तसिर हुआ
मुत्तसिर -प्रभावित