दोहा :- सुनो अवध के वासियों , आज हमारी पीर । थामो | हिंदी शायरी

"दोहा :- सुनो अवध के वासियों , आज हमारी पीर । थामो बहते नीर को , देखो हृदय अधीर ।। कहाँ हमारी पीर को , सुनते अवध नरेश । राम-राम कहते रहे , दर पर खड़े सुरेश ।। सत्य सनातन ही यहाँ , कर बैठा है घात । बुला लिया जयचंद को , घर में आधी रात ।। लिखे अवध पर आज कुछ , हमने दोहा छन्द । भाई जिनको कह रहे , निकले वे जयचन्द ।। कहना सुनना कुछ नही , बस इतनी है बात । सत्य सनातन छोड़ कर , दें हमको सौगात ।। कैसे लंका में बने , मेघनाथ थे भूप । ठीक अवध के लोग भी , वही दिखाये रूप ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 दोहा :-
सुनो अवध के वासियों , आज हमारी पीर ।
थामो बहते नीर को , देखो हृदय अधीर ।।

कहाँ हमारी पीर को , सुनते अवध नरेश ।
राम-राम कहते रहे , दर पर खड़े सुरेश ।।

सत्य सनातन ही यहाँ , कर बैठा है घात ।
बुला लिया जयचंद को , घर में आधी रात ।।

लिखे अवध पर आज कुछ , हमने दोहा छन्द ।
भाई जिनको कह रहे , निकले वे जयचन्द ।।

कहना सुनना कुछ नही , बस इतनी है बात ।
सत्य सनातन छोड़ कर , दें हमको सौगात ।।

कैसे लंका में बने , मेघनाथ थे भूप ।
ठीक अवध के लोग भी , वही दिखाये रूप ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- सुनो अवध के वासियों , आज हमारी पीर । थामो बहते नीर को , देखो हृदय अधीर ।। कहाँ हमारी पीर को , सुनते अवध नरेश । राम-राम कहते रहे , दर पर खड़े सुरेश ।। सत्य सनातन ही यहाँ , कर बैठा है घात । बुला लिया जयचंद को , घर में आधी रात ।। लिखे अवध पर आज कुछ , हमने दोहा छन्द । भाई जिनको कह रहे , निकले वे जयचन्द ।। कहना सुनना कुछ नही , बस इतनी है बात । सत्य सनातन छोड़ कर , दें हमको सौगात ।। कैसे लंका में बने , मेघनाथ थे भूप । ठीक अवध के लोग भी , वही दिखाये रूप ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :-
सुनो अवध के वासियों , आज हमारी पीर ।
थामो बहते नीर को , देखो हृदय अधीर ।।

कहाँ हमारी पीर को , सुनते अवध नरेश ।
राम-राम कहते रहे , दर पर खड़े सुरेश ।।

सत्य सनातन ही यहाँ , कर बैठा है घात ।

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