फांसी पर झूले थे वे सीने पर गोली खाई थी। झूठ कहते | हिंदी Poetry

"फांसी पर झूले थे वे सीने पर गोली खाई थी। झूठ कहते है वे साहब की आज़ादी चरखे से आई थी। ©Somya Shukla"

 फांसी पर झूले थे वे
सीने पर गोली खाई थी।

झूठ कहते है वे साहब
की 
आज़ादी चरखे से आई थी।

©Somya Shukla

फांसी पर झूले थे वे सीने पर गोली खाई थी। झूठ कहते है वे साहब की आज़ादी चरखे से आई थी। ©Somya Shukla

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