"चोरों के हैं जो हितू, ठगों के बल हैं,
जिनके प्रताप से पलते पाप सकल हैं,
जो छल-प्रपंच, सब को प्रश्रय देते हैं,
या चाटुकार जन से सेवा लेते हैं;
यह पाप उन्हीं का हमको मार गया है,
भारत अपने घर में ही हार गया है।"
©HintsOfHeart.
#जब राजा ही चोर हो तो राज्य की दुर्दशा निश्चित है#रामधारीसिंह_दिनकर