ग़ज़ल :- राज नेता बना दूँ अगर तुम कहो । तख़्त ये भी | हिंदी शायरी

"ग़ज़ल :- राज नेता बना दूँ अगर तुम कहो । तख़्त ये भी दिला दूँ अगर तुम कहो ।। वंश हो तुम हमारा तुम्हारे लिए । जान अपनी लुटा दूँ अगर तुम कहो ।। लूटा कैसे है आवाम को मैं यहाँ  । राज़ सारे बता दूँ अगर तुम कहो ।। वोट सारे मिलेंगे तुम्हें ही सुनों । बात लिख के दिला दूँ अगर तुम कहो ।। काम थोड़ा करूँ और चर्चा बहुत । नाम ऐसे उठा दूँ अगर तुम कहो ।। गाँव घर को जला सेंक दूँ रोटियां । स्वाद उनका चखा दूँ अगर तुम कहो ।। लड़ पड़ेंगे सभी मूर्ख है ये प्रखर । एक ट्रेलर दिखा दूँ अगर तुम कहो ।। ०३/०३/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 ग़ज़ल :-

राज नेता बना दूँ अगर तुम कहो ।
तख़्त ये भी दिला दूँ अगर तुम कहो ।।

वंश हो तुम हमारा तुम्हारे लिए ।
जान अपनी लुटा दूँ अगर तुम कहो ।।

लूटा कैसे है आवाम को मैं यहाँ  ।
राज़ सारे बता दूँ अगर तुम कहो ।।

वोट सारे मिलेंगे तुम्हें ही सुनों ।
बात लिख के दिला दूँ अगर तुम कहो ।।

काम थोड़ा करूँ और चर्चा बहुत ।
नाम ऐसे उठा दूँ अगर तुम कहो ।।

गाँव घर को जला सेंक दूँ रोटियां ।
स्वाद उनका चखा दूँ अगर तुम कहो ।।

लड़ पड़ेंगे सभी मूर्ख है ये प्रखर ।
एक ट्रेलर दिखा दूँ अगर तुम कहो ।।

०३/०३/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- राज नेता बना दूँ अगर तुम कहो । तख़्त ये भी दिला दूँ अगर तुम कहो ।। वंश हो तुम हमारा तुम्हारे लिए । जान अपनी लुटा दूँ अगर तुम कहो ।। लूटा कैसे है आवाम को मैं यहाँ  । राज़ सारे बता दूँ अगर तुम कहो ।। वोट सारे मिलेंगे तुम्हें ही सुनों । बात लिख के दिला दूँ अगर तुम कहो ।। काम थोड़ा करूँ और चर्चा बहुत । नाम ऐसे उठा दूँ अगर तुम कहो ।। गाँव घर को जला सेंक दूँ रोटियां । स्वाद उनका चखा दूँ अगर तुम कहो ।। लड़ पड़ेंगे सभी मूर्ख है ये प्रखर । एक ट्रेलर दिखा दूँ अगर तुम कहो ।। ०३/०३/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :-


राज नेता बना दूँ अगर तुम कहो ।

तख़्त ये भी दिला दूँ अगर तुम कहो ।।

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