ग़ज़ल :-
राज नेता बना दूँ अगर तुम कहो ।
तख़्त ये भी दिला दूँ अगर तुम कहो ।।
वंश हो तुम हमारा तुम्हारे लिए ।
जान अपनी लुटा दूँ अगर तुम कहो ।।
लूटा कैसे है आवाम को मैं यहाँ ।
राज़ सारे बता दूँ अगर तुम कहो ।।
वोट सारे मिलेंगे तुम्हें ही सुनों ।
बात लिख के दिला दूँ अगर तुम कहो ।।
काम थोड़ा करूँ और चर्चा बहुत ।
नाम ऐसे उठा दूँ अगर तुम कहो ।।
गाँव घर को जला सेंक दूँ रोटियां ।
स्वाद उनका चखा दूँ अगर तुम कहो ।।
लड़ पड़ेंगे सभी मूर्ख है ये प्रखर ।
एक ट्रेलर दिखा दूँ अगर तुम कहो ।।
०३/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :-
राज नेता बना दूँ अगर तुम कहो ।
तख़्त ये भी दिला दूँ अगर तुम कहो ।।