ज़िंदा हैं हम यहां यही क्या काफ़ी नहीं,
आओ चलो शुक्राना अल्लाह का लिखते हैं,
काग़ज़ क़लम हाथ में हैं वक़्त ज़ाया ना करें,
चलो मोहब्बत भरी एक ग़ज़ल लिखते हैं,
©Abhishekism
ज़िंदा हैं हम यहां यही क्या काफ़ी नहीं,
आओ चलो शुक्राना अल्लाह का लिखते हैं,
काग़ज़ क़लम हाथ में हैं वक़्त ज़ाया ना करें,
चलो मोहब्बत भरी एक ग़ज़ल लिखते हैं,
©Abhishekism
#abhishekism #abhishekism @poeticatma #poeticatma