White ये रास्ते अनजान है
फिर इनसे इतनी उम्मीद क्यूँ
मंजिल भी मालूम नहीं कहाँ मिलेगी
फिर उससे इतनी मोहब्बत क्यूँ
मंजर ये दिल का तन्हाई भरा रहता हैं
फिर महफ़िल में लबों पे मेरे शोर क्यूँ
सवालों का जाल हैं लम्बा
मगर जवाब नहीं कोई
ना जाने इनकी तलब में दिल इतना बेचैन क्यूँ
गुम रहता हूँ ना जाने कहाँ मैं
फिर इस दिल को अपनी मोहब्बत तलाश क्यूँ
कि मेरी मोहब्बत को कहाँ ढूँढ़ू
ये रास्ते अनजान हैं
फिर मिलन की तलब हैं क्यूँ
कि कैसे क्या पता
तुझसे इतनी मोहब्बत क्यूँ
©writer....Nishu...
#मोहब्बत क्यूँ Sôhíñ Görwâl Nîkîtã Guptā @Writer Ravi