सहारा भी चमन हो नाच उठा, नभ नील सघन हो नाच उठा सहस | हिंदी कविता

"सहारा भी चमन हो नाच उठा, नभ नील सघन हो नाच उठा सहसा एक नई पीड़ मिली, मन मस्त मगन हो नाच उठा एक सौ सोलह चाँद की रातें बीतीं, अति बोझिल और निस्संग पिया जो आए, उर विरहन का गतिशील पवन हो नाच उठा ©Ghumnam Gautam"

 सहारा भी चमन हो नाच उठा, नभ नील सघन हो नाच उठा
सहसा एक नई पीड़ मिली, मन मस्त मगन हो नाच उठा

एक सौ सोलह चाँद की रातें बीतीं, अति बोझिल और  निस्संग
पिया जो आए, उर विरहन का गतिशील पवन हो नाच उठा

©Ghumnam Gautam

सहारा भी चमन हो नाच उठा, नभ नील सघन हो नाच उठा सहसा एक नई पीड़ मिली, मन मस्त मगन हो नाच उठा एक सौ सोलह चाँद की रातें बीतीं, अति बोझिल और निस्संग पिया जो आए, उर विरहन का गतिशील पवन हो नाच उठा ©Ghumnam Gautam

#Dance
#विरहन
#पवन
#नभ
#ghumnamgautam

People who shared love close

More like this

Trending Topic