नज़र से क़ैद-ए-तअय्युन उठाई जाती है ,
तजल्ली-ए-रुख़-ए-जानाँ दिखाई जाती है ..
जब उन को हौसला-ए-दिल पे ए'तिबार नहीं ,
तो फिर नज़र से नज़र क्यूँ मिलाई जाती है ...
©Arsh....
नज़र से क़ैद-ए-तअय्युन उठाई जाती है
तजल्ली-ए-रुख़-ए-जानाँ दिखाई जाती है
जब उन को हौसला-ए-दिल पे ए'तिबार नहीं
तो फिर नज़र से नज़र क्यूँ मिलाई जाती है @Rakesh Kumar Das @Ritu Tyagi Puneet Arora Sunny FAKIR SAAB(ek fakir) @shiza