सारा हुनर था बस दिखाना नहीं आया उसे रूठना तो आया म | हिंदी Poetry

"सारा हुनर था बस दिखाना नहीं आया उसे रूठना तो आया मनाना नहीं आया   एक  डूबती  कश्ती पे  सवार  थे  दोनो  उसे तैरना तो आया बचाना नहीं आया मोहब्बत थी  उसे भी  इंकार नहीं है पर उसे करना तो आया निभाना नहीं आया मेरे लतीफ़े सुने मुझे चुटकुला नही सुनाया  उसे हंसना  तो आया  हंसाना नहीं आया वो रकीबों में, हम दर्द में, पर हंसते रहे के ग़म सहना  तो आया  बताना नहीं आया "

 सारा हुनर था बस दिखाना नहीं आया
उसे रूठना तो आया मनाना नहीं आया

 
एक  डूबती  कश्ती पे  सवार  थे  दोनो 
उसे तैरना तो आया बचाना नहीं आया


मोहब्बत थी  उसे भी  इंकार नहीं है पर
उसे करना तो आया निभाना नहीं आया

मेरे लतीफ़े सुने मुझे चुटकुला नही सुनाया 
उसे हंसना  तो आया  हंसाना नहीं आया


वो रकीबों में, हम दर्द में, पर हंसते रहे के
ग़म सहना  तो आया  बताना नहीं आया

सारा हुनर था बस दिखाना नहीं आया उसे रूठना तो आया मनाना नहीं आया   एक  डूबती  कश्ती पे  सवार  थे  दोनो  उसे तैरना तो आया बचाना नहीं आया मोहब्बत थी  उसे भी  इंकार नहीं है पर उसे करना तो आया निभाना नहीं आया मेरे लतीफ़े सुने मुझे चुटकुला नही सुनाया  उसे हंसना  तो आया  हंसाना नहीं आया वो रकीबों में, हम दर्द में, पर हंसते रहे के ग़म सहना  तो आया  बताना नहीं आया

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