मुंतजिर है तू शिकवा से न कर गीले ।
ये हम कहा थे कहा आकर है मिले।
मर्जी भी थी जरासी हमारी यहां।
नजर चुराकर फिर नजर उठाके मिले।
दिलों को मिला ए खुदा तू मेरे।
हम तो पलके झुकाकर मिले।
राबता है मेरे मेहबूब का मुझसे ।
चाँद पर जो लगे दाग फीर न धुले।
©Nikita pathare
#Likho