सुलगे हुए होंठों पे क्या लफ्जों का झुलसना देखें घु | हिंदी Poetry

"सुलगे हुए होंठों पे क्या लफ्जों का झुलसना देखें घुट घुटके जीने वाले का, हँस हँसकर मरना देखें बदनीयती वालों की बदगुमानियाँ भी बहुत खूब अमृत सी ज़ुबां वालों का जहरीला ये डंसना देखें न जाने किस गुमान पर, समंदर वो उछलता रहा अब प्यास बुझाने केलिए उसका भी तरसना देखें मन भींग रहा अपना इन आँखों की झमाझम से अब काहे को यह सोचे कि छत पर बरसना देखें है उम्र अपाहिज, किसी काम की बची नहीं अब यूँ बेकार किसलिए, ख्वाहिशों का मचलना देखें ज़िंदा रहने की कोशिश ने कई रंग दिखाए मगर चौखट पर ही बैठे हैं मुसाफिर! तेरा बस आना देखें ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS"

 सुलगे हुए होंठों पे क्या लफ्जों का झुलसना देखें
घुट घुटके जीने वाले का, हँस हँसकर मरना देखें 

बदनीयती वालों की बदगुमानियाँ भी  बहुत खूब 
अमृत सी ज़ुबां वालों का जहरीला ये डंसना देखें 

न जाने किस गुमान पर, समंदर वो उछलता रहा
अब प्यास बुझाने केलिए उसका भी तरसना देखें 

मन भींग रहा अपना इन आँखों की झमाझम से
अब काहे को यह सोचे कि छत पर बरसना देखें 

है उम्र अपाहिज, किसी काम की बची नहीं अब
यूँ बेकार किसलिए, ख्वाहिशों का मचलना देखें 

ज़िंदा रहने की कोशिश ने कई रंग दिखाए मगर
चौखट पर ही बैठे हैं मुसाफिर! तेरा बस आना देखें

©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS

सुलगे हुए होंठों पे क्या लफ्जों का झुलसना देखें घुट घुटके जीने वाले का, हँस हँसकर मरना देखें बदनीयती वालों की बदगुमानियाँ भी बहुत खूब अमृत सी ज़ुबां वालों का जहरीला ये डंसना देखें न जाने किस गुमान पर, समंदर वो उछलता रहा अब प्यास बुझाने केलिए उसका भी तरसना देखें मन भींग रहा अपना इन आँखों की झमाझम से अब काहे को यह सोचे कि छत पर बरसना देखें है उम्र अपाहिज, किसी काम की बची नहीं अब यूँ बेकार किसलिए, ख्वाहिशों का मचलना देखें ज़िंदा रहने की कोशिश ने कई रंग दिखाए मगर चौखट पर ही बैठे हैं मुसाफिर! तेरा बस आना देखें ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS

#swiftbird सुलगे हुए होंठों पे क्या लफ्जों का झुलसना देखें
घुट घुटके जीने वाले का, हँस हँसकर मरना देखें

बदनीयती वालों की बदगुमानियाँ भी बहुत खूब
अमृत सी ज़ुबां वालों का जहरीला ये डंसना देखें

न जाने किस गुमान पर, समंदर वो उछलता रहा
अब प्यास बुझाने केलिए उसका भी तरसना देखें

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