White अजीब लोग हैं इस दुनिया में और वही बहुतायत मे | हिंदी विचार

"White अजीब लोग हैं इस दुनिया में और वही बहुतायत में हैं। पंद्रह ओवर के बाद जो लोग विराट कोहली को धीमी बल्लेबाजी के लिए गाली दे रहे थे, वही लोग जितने के बाद उन्हें किंग, बेस्ट बैट्समैन और कई उपाधि से नवाज़ रहे। ज़िंदगी का भाग्य, दुर्भाग्य यही है कि कई बार आपकी प्रशंसा और आलोचना सिर्फ आपके हाथ में नहीं है,वो समय और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। कल का ही देखिए अगर दक्षिण अफ्रीका जीत जाता तो कोहली, अक्षर पटेल, हार्दिक पांड्या सबसे बड़े विलेन होते पर भारत के जीतते यह हमारे हीरो हो गए।कई बार आपका दोष भी अच्छे समय में छिप जाता है, जैसे पूरे वर्ल्ड कप में रवीन्द्र जडेजा का प्रदर्शन अनुकूल नहीं होते हुए भी,उनकी आलोचना नहीं होगी क्योंकि टीम का ओवरऑल रिजल्ट शानदार है।इस वर्ल्ड कप से हमें यह भी सीख मिलता है कि परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हो, रोहित शर्मा की तरह धैर्यवान एवं विवेकवान होना चाहिए ,बुमराह की तरह शांति से अपना कार्य करते रहना चाहिए और सूर्या की तरह टर्निंग प्वाइंट के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।। अंत में,कोई भी हार आखिरी हार नहीं है, कोई भी जीत आखिरी जीत नहीं है,बस किरदार अच्छे से निभाते हुए एक दिन अलविदा कह जाना है। ©Niwas"

 White अजीब लोग हैं इस दुनिया में और वही बहुतायत में हैं। पंद्रह ओवर के बाद जो लोग विराट कोहली को धीमी बल्लेबाजी के लिए गाली दे रहे थे, वही लोग जितने के बाद उन्हें किंग, बेस्ट बैट्समैन और कई उपाधि से नवाज़ रहे। ज़िंदगी का भाग्य, दुर्भाग्य यही है कि कई बार आपकी प्रशंसा और आलोचना सिर्फ आपके हाथ में नहीं है,वो समय और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। कल का ही देखिए अगर दक्षिण अफ्रीका जीत जाता तो कोहली, अक्षर पटेल, हार्दिक पांड्या सबसे बड़े विलेन होते पर भारत के जीतते यह हमारे हीरो हो गए।कई बार आपका दोष भी अच्छे समय में छिप जाता है, जैसे पूरे वर्ल्ड कप में रवीन्द्र जडेजा का प्रदर्शन अनुकूल नहीं होते हुए भी,उनकी आलोचना नहीं होगी क्योंकि टीम का ओवरऑल रिजल्ट शानदार है।इस वर्ल्ड कप से हमें यह भी सीख मिलता है कि परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हो, रोहित शर्मा की तरह धैर्यवान एवं विवेकवान होना चाहिए ,बुमराह की तरह शांति से अपना कार्य करते रहना चाहिए और सूर्या की तरह टर्निंग प्वाइंट के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।। अंत में,कोई भी हार आखिरी हार नहीं है, कोई भी जीत आखिरी जीत नहीं है,बस किरदार अच्छे से निभाते हुए एक दिन अलविदा कह जाना है।

©Niwas

White अजीब लोग हैं इस दुनिया में और वही बहुतायत में हैं। पंद्रह ओवर के बाद जो लोग विराट कोहली को धीमी बल्लेबाजी के लिए गाली दे रहे थे, वही लोग जितने के बाद उन्हें किंग, बेस्ट बैट्समैन और कई उपाधि से नवाज़ रहे। ज़िंदगी का भाग्य, दुर्भाग्य यही है कि कई बार आपकी प्रशंसा और आलोचना सिर्फ आपके हाथ में नहीं है,वो समय और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। कल का ही देखिए अगर दक्षिण अफ्रीका जीत जाता तो कोहली, अक्षर पटेल, हार्दिक पांड्या सबसे बड़े विलेन होते पर भारत के जीतते यह हमारे हीरो हो गए।कई बार आपका दोष भी अच्छे समय में छिप जाता है, जैसे पूरे वर्ल्ड कप में रवीन्द्र जडेजा का प्रदर्शन अनुकूल नहीं होते हुए भी,उनकी आलोचना नहीं होगी क्योंकि टीम का ओवरऑल रिजल्ट शानदार है।इस वर्ल्ड कप से हमें यह भी सीख मिलता है कि परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हो, रोहित शर्मा की तरह धैर्यवान एवं विवेकवान होना चाहिए ,बुमराह की तरह शांति से अपना कार्य करते रहना चाहिए और सूर्या की तरह टर्निंग प्वाइंट के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।। अंत में,कोई भी हार आखिरी हार नहीं है, कोई भी जीत आखिरी जीत नहीं है,बस किरदार अच्छे से निभाते हुए एक दिन अलविदा कह जाना है। ©Niwas

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