White रात अंधेरी, चाँद खिला,
जन्मे नंदलाल, वृंदावन हँस पड़ा।
मुरली की धुन, गूंजे हर ओर,
राधा का मन, मोहन का जोड़े।
कन्हैया की लीला, अद्भुत निराली,
माखन चुराए, मुरली की सवारी।
जय-जयकार हो, जन्माष्टमी का दिन,
सकल जगत में गूँजे श्रीकृष्ण नाम।
कर्म की गीता, कृष्ण ने सुनाई,
धर्म का मार्ग, अर्जुन को दिखलाया,
महाभारत के रण में, सारथि बने सखा,
जीवन का सत्य, हर युग में समझाया।
जन्माष्टमी की रात, सब भक्ति में लीन,
कान्हा की मूरत, हर दिल में रंगीन।
अंधकार से लड़कर, जो लाए उजाला,
ऐसे श्रीकृष्ण को, कोटि-कोटि प्रणाम हमारा।
©Sandeep Lucky Singh
यहाँ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर एक अनोखी और संक्षिप्त कविता है।
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