कलम डूबे हूए हैं झूट की भी रोशनाई में ये जो अख़ब | हिंदी शायरी Video

"कलम डूबे हूए हैं झूट की भी रोशनाई में ये जो अख़बार में छपता है, सब सच नहीं होता ____ फ़लक सफ़ीपुरी "

कलम डूबे हूए हैं झूट की भी रोशनाई में ये जो अख़बार में छपता है, सब सच नहीं होता ____ फ़लक सफ़ीपुरी

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