गैर की लिखी बाते है, गैर समझ के भुला ना दे नफ़रत क | हिंदी Poetry
"गैर की लिखी बाते है, गैर समझ के भुला ना दे
नफ़रत की चिंगारी है, इसपर डाल दे पानी हवा ना दे
उम्र तलाशती चट्टाने, मुस्तकबिल का क्या जाने
सहलाकर इनको हिम्मत दे, पर गहरी नींद में सुला ना दे"
गैर की लिखी बाते है, गैर समझ के भुला ना दे
नफ़रत की चिंगारी है, इसपर डाल दे पानी हवा ना दे
उम्र तलाशती चट्टाने, मुस्तकबिल का क्या जाने
सहलाकर इनको हिम्मत दे, पर गहरी नींद में सुला ना दे