भरोसा
भरोसा बनाने में वर्षों लगते हैं
और तोड़ने में बस लगते है पल
ये ज़रूरी नहीं कि छले तुम्हें अनजान कोई
कोई अपना बन के तुम्हें सकता है छल ।।
छल जाए तुझे अपना भी कोई तो गम न कर
होगा सब कुछ भला भला, थोड़ा तो तू धीर धर
वक्त कितना भी ख़राब क्यों न हो
हो रहमत राम की तो, बुरा वक्त सकता है टल
भरोसा बनाने में वर्षों लगते हैं
और तोड़ने में बस लगते है पल ।।
©Sushil Patial
#happypromiseday