White अचानक झेंप कर हँसने लगा मैं
बहुत रोने की कोशिश कर रहा था
भँवर में फिर हमें कुछ मश्ग़ले थे
वो बेचारा तो साहिल पर रहा था
लरज़ते काँपते हाथों से बूढ़ा
चिलम में फिर कोई दुख भर रहा था
अचानक लौ उठी और जल गया मैं
बुझी किरनों को यकजा कर रहा था
गिला क्या था अगर सब साथ होते
वो बस तन्हा सफ़र से डर रहा था
ग़लत था रोकना अश्कों को यूँ भी
कि बुनियादों में पानी मर रहा था
शरीक कैफ़ी
©आगाज़
#Kaifi @aditi the writer @Niaz (Harf) @Senty Poet