सपनिली आँखों मे...
सपने नऐ सजाकर...
कभी थक जाऐ दिल तो...
थपकी से समझाकर...
काँटो की चुभन से होकर...
एक फूल लाना है...
थोड़ा-थोड़ा,थोड़ा-थोड़ा करके
बहुत दूर जाना है... 2
आएेगी मंजिल आज नही कल...
अगर तू चलता जाए...
पर सपनो की धुन में तेरे...
कदम बहक ना जाए...
है सही जो राह वो चुनकर...
चलते जाना है...
थोड़ा-थोड़ा,..... 2
एेसा भी होगा चलते-चलते आएगा दोराहा...
तू ये सोचे, जग की माने या दिल ने जो चाहा...
इन ही इम्तिहानो मे हमको
जीत जाना है
थोड़ा-थोड़ा, थोड़ा-थोड़ा करके बहुत दूर जाना है|
#Bahut dur jana h#dreams