काम निकल जाने पर दुत्कार दिए जाओगे। उसके बाद बिन ब

"काम निकल जाने पर दुत्कार दिए जाओगे। उसके बाद बिन बुलाए तुम कहाँ पर जाओगे। अगर कर दोगे तुम ज़िंदगी दूसरों के हवाले, जब रह जाओगे तन्हा तो बहुत पछताओगे। किसी और के लिए तो तुम्हारी कीमत अर्ज़ा, चाहने वालो के लिए बेशकीमती कहलाओगे। कुछ भी नहीं मिलता है किसी की चाकरी से, अपनी ज़िंदगी का मुकाम यहाँ कहाँ पाओगे। निशान रह जाते है रूह पर दर्द के उम्र तलक़, इस जाल में जो फंसे तो बाहर कैसे आओगे।"

 काम निकल जाने पर दुत्कार दिए जाओगे।
उसके बाद बिन बुलाए तुम कहाँ पर जाओगे।

अगर कर दोगे तुम ज़िंदगी दूसरों के हवाले,
जब रह जाओगे तन्हा तो बहुत पछताओगे।

किसी और के लिए तो तुम्हारी कीमत अर्ज़ा,
चाहने वालो के लिए बेशकीमती कहलाओगे।

कुछ भी नहीं मिलता है किसी की चाकरी से,
अपनी ज़िंदगी का मुकाम यहाँ कहाँ पाओगे।

निशान रह जाते है रूह पर दर्द के उम्र तलक़,
इस जाल में जो फंसे तो बाहर कैसे आओगे।

काम निकल जाने पर दुत्कार दिए जाओगे। उसके बाद बिन बुलाए तुम कहाँ पर जाओगे। अगर कर दोगे तुम ज़िंदगी दूसरों के हवाले, जब रह जाओगे तन्हा तो बहुत पछताओगे। किसी और के लिए तो तुम्हारी कीमत अर्ज़ा, चाहने वालो के लिए बेशकीमती कहलाओगे। कुछ भी नहीं मिलता है किसी की चाकरी से, अपनी ज़िंदगी का मुकाम यहाँ कहाँ पाओगे। निशान रह जाते है रूह पर दर्द के उम्र तलक़, इस जाल में जो फंसे तो बाहर कैसे आओगे।

❤प्रतियोगिता-590❤

👍🏻चित्र प्रतियोगिता - 168👍🏻

🤗आज की चित्र प्रतियोगिता के अंतर्गत आपको चित्र को ध्यान में रखते हुए लिखना है I ध्यान रहे कि शब्द सीमा चित्र के ऊपर ही अंकित हो सके उतनी रहे I🤗

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दी हुई चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।

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