दिल भी इज़हार कहां करता है"
मिलते ही नज़र ,बेचैन
जिगर, दिल ख़्वाब में आहें भरता है।
कहने में शर्म सी आती है,
शायद ऐ दिल, सचमुच उसपे मरता है।
छुप छुप कर हर दिन किसी
बहाने से, वो भी गलियों में पीछा करता है।
फिरने दो थोड़ा आगे पीछे, दो-चार
मुलाकातों में, "दिल भी इजहार कहां करता है"।
©Anuj Ray
# दिल भी इज़हार कहां करता है"