"रूप की मोहिनी मेरे दिल में बसी है प्यार की खुशी उनसे मिलके हुई हैं,
रंग रूप देख मेरा मन गया मचल जिनकी सूरत दिन रात मेरी आंखो में बसी है!
लफ्जों से कैसे समझाऊं मैं उनको कि मेरे सपनों में अब तुम आने लगी हैं,,
तन्हा अकेला मैं बैठा तेरी राहों में मुझको तो अब तेरी याद आने लगी हैं!!
डीयर आर एस आज़ाद...
©Ramkishor Azad"