दोस्त
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सूरज तो नहीं, जो हर दिन तुम्हारी ज़िंदगी रौशन कर दे मैं दिया ही सही, जिसकी लौ हर लम्हा तुम्हें अँधेरे से मेहफूज़ रखेगी
चाँद तो नहीं, जो अपनी चाँदनी के नूर से तुम्हें जंवा और खूबसूरत रखेगी मैं सितारा ही सही, जिसके टूटने से ख़ुदा तुम्हारी दुआ कुबूल करेगा
समन्दर तो नहीं, जिसकी हर लहर तुम्हें मुस्कान और सुकून का एहसास कराए नदी ही सही, जो तुम्हारी प्यास तो बुझा सकता है
हमसफ़र तो नहीं, जो ता-उम्र साथ निभाए मैं हमराज़ ही सही, जो तुम्हारे दामन में खुशियाँ भरे और हर दर्द-ओ-ग़म बाँट ले
मनीष राज
©Manish Raaj
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