तुम्हारे हुस्न का जलवा नकाब में क्यों है , ये काँट | English Poetry Vi

"तुम्हारे हुस्न का जलवा नकाब में क्यों है , ये काँटा सा लगा है तो गुलाब में क्यों है.. वो ख्वाब में तो बहुत ही हसीन लगती है , मुझे मिले भी सही मेरे ख्वाब में क्यों है.. हमारे वास्ते वो फूल जो खरीदा था , मगर वो फूल अभी तक किताब में क्यों है.. जो पाता है वो उसी को हो जाता है जाना , कुछ इस तरह का नशा भी शराब में क्यों है.. वो रूठ जाए मनाना बहुत ही मुश्किल है , खुदा ही जाने ये नखरें जनाब में क्यों है.. अगर तू चाहे तो दिल से निकाल दो मुझको , मगर ये नफरतें तेरे जवाब में क्यों है..... @Mr Khan"

तुम्हारे हुस्न का जलवा नकाब में क्यों है , ये काँटा सा लगा है तो गुलाब में क्यों है.. वो ख्वाब में तो बहुत ही हसीन लगती है , मुझे मिले भी सही मेरे ख्वाब में क्यों है.. हमारे वास्ते वो फूल जो खरीदा था , मगर वो फूल अभी तक किताब में क्यों है.. जो पाता है वो उसी को हो जाता है जाना , कुछ इस तरह का नशा भी शराब में क्यों है.. वो रूठ जाए मनाना बहुत ही मुश्किल है , खुदा ही जाने ये नखरें जनाब में क्यों है.. अगर तू चाहे तो दिल से निकाल दो मुझको , मगर ये नफरतें तेरे जवाब में क्यों है..... @Mr Khan

Mr Khan New Life

#Flute

People who shared love close

More like this

Trending Topic