White तेरे खयालों की रोशनी रही पास हमेशा,
ज़िदगी मेरी फिर भी रही उदास हमेशा।
ये अलग बात थी कि तू न सुन पाया,
तुझको आवाज़ देती रही मेरी हर सांस हमेशा।
पतझड़ में भी हंसने की कोशिश कर ले,
मिलता नहीं किसी को भी मधुमास हमेशा।
बेइमानों के ही हक़ में होते रहे फ़ैसले,
वो चलते रहे हैं चाल कुछ खास हमेशा।
न पूछ क्यूं रिश्तों के जाल में उलझकर,
दम तोड़ती रही मेरी हर 'आस' हमेशा।
©दीपबोधि
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